Sunday, July 31, 2011

संस्कृत विवि पर बिफरा काशी का विद्वत समाज

संस्कृत विवि पर बिफरा काशी का विद्वत समाज
(दैनिक जागरण वाराणसी २८ जुलाई पृष्ट ८)
वाराणसी : संपूर्णानंद संस्कृत विश्व विद्यालय द्वारा संदिग्ध दस्तावेजों के आधार पर बालकृष्ण की डिग्रियों को फर्जी करार देने के मामले ने काशी के विद्वत समाज को उद्वेलित कर दिया है। अखिल भारतीय विद्वत परिषद, काशी विद्वत परिषद व विभिन्न संतों ने मामले की खुली निंदा करने के साथ ही विश्वविद्यालय प्रशासन को अपना घर दुरुस्त करने की सलाह दी है। साथ ही शासन से यहां व्याप्त गड़बडि़यों की किसी स्वतंत्र एजेंसी से विस्तृत जांच कराने की भी मांग की है। खास कर संस्कृत विश्वविद्यालय से निकले पूर्व छात्र तो विश्वविद्यालय के इस कदम से बेहद नाराज हैं। इन सभी का मानना है कि इस तर्ज पर विश्वविद्यालय कभी भी किसी की भी डिग्री को फर्जी करार दे देगा। यह खेल विश्वविद्यालय लंबे समय से कर भी रहा है। अखिल भारतीय विद्वत परिषद के राष्ट्रीय संयोजक पं. कामेश्वर उपाध्याय कहते हैं कि संस्कृत विश्वविद्यालय भ्रष्टाचार का बड़ा गढ़ बना हुआ है। इस भ्रष्टाचार को समाप्त करने की जगह कुलपति राजनीति करने में लगे हैं। पूर्णकालिक कुलपति बनने की चाह में वह कुलाधिपति को खुश करने के लिए कांग्रेस के विरोध में उतरे स्वामी रामदेव के सहयोगी बालकृष्ण की डिग्री को फर्जी बता रहे हैं। आखिर कोई उनकी बात पर कैसे भरोसा करे। विश्व विद्यालय को पहले अपने सारे दस्तावेज आनलाइन करने चाहिए, जिससे लोगों को पता तो चले कि कितने छात्रों को असली और कितनों को नकली माना जा रहा है। काशी विद्वत परिषद के महामंत्री प्रो. शिवजी उपाध्याय भी कुलपति के कदम की तीखी आलोचना करते हैं। उनके अनुसार कुलपति को पहले दस्तावेजों की जांच के लिए अपने द्वारा बनाई गई कमेटी की रिपोर्ट का इंतजार करना चाहिए था। इसके बाद ही कोई रिपोर्ट देनी चाहिए थी। कुलपति व विश्वविद्यालय के अन्य अधिकारी जिस तरह बालकृष्ण के मुद्दे पर बयानबाजी कर रहे हैं, उससे उनकी एकतरफा मंशा खुद साबित हो रही है। कुलपति को ऐसा कत्तई नहीं करना चाहिए। इस पूरे प्रकरण से आक्रोशित काशी सुमेरुपीठाधीश्वर स्वामी नरेन्द्रानंद सरस्वती का कहना था कि विश्वविद्यालय में लंबे समय से फर्जीवाड़ा चल रहा है। इसकी विस्तृत और स्वतंत्र जांच होनी चाहिए। उन्होंने कांग्रेस के नेतृत्व वाली केन्द्र सरकार को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि आतंकवादियों को पालने व संरक्षण देने वाली सरकार बालकृष्ण व बाबा रामदेव को भ्रष्टाचार का मुद्दा उठाने की सजा दे रही है। सरकार से भिड़ना उन्हें भारी पड़ रहा है। बालकृष्ण ने खुद अपना पासपोर्ट नहीं बनाया है और न ही अपने अंकपत्र स्वयं ही जारी किए हैं। इसलिए यह गड़बड़ है तो सजा पहले उनको मिलनी चाहिए जिन्होंने इसे बनाया है। पहले पुलिस व एलआईयू के अधिकारी, पासपोर्ट अधिकारी, अंकपत्र जारी करने वाले कर्मचारी व प्राचार्य आदि को दंडित करना चाहिए। बाबा रामदेव व बालकृष्ण देशद्रोही नहीं हैं पर उनके साथ ऐसा ही सलूक हो रहा है। सरकार में दम हो तो मुंबई बम ब्लास्ट की साजिश की जानकारी होने का दावा करने वाले कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह की जांच कराई जाए।

Friday, April 08, 2011

Distractions, Delusions, and Dharma

One of the biggest challenge of life is to avoid distractions and delusions, and to focus on the truth (the dharma).

Distractions themselves can be classified into good and bad distractions - however, still they are distractions.

Cricket is not even a good distraction.

Things like Cricket, and the hype, sensationalism, selective reporting, sponsored reporting by the MSM (mainstream media), is a major distraction and delusion tool, into the hands of the corrupt and selfish ones (corrupt politicians, corrupt bureaucrats, and corrupt businessmen).

So boycott IPL for Anna Hazare, for Jan Lokpal Bill, for the real Bharat.

Jai Hind, Jai Bharat.
Vande Mataram.